शिक्षकों के तबादले में लापरवाही: 26 BSA को शासन की फटकार, जवाबदेही तय करने की तैयारी
शिक्षकों के तबादले में लापरवाही: 26 BSA को शासन की फटकार, जवाबदेही तय करने की तैयारी

लखनऊ – उत्तर प्रदेश सरकार ने बेसिक शिक्षा विभाग में तबादला प्रक्रिया को पारदर्शी और समयबद्ध बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। प्रदेश के 26 जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारियों (BSA) को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए तीन दिनों के भीतर स्पष्टीकरण मांगा गया है। आरोप है कि इन अधिकारियों ने शिक्षकों के ऑनलाइन ट्रांसफर वेरिफिकेशन में भारी लापरवाही बरती, जिससे हजारों शिक्षकों का तबादला प्रभावित हुआ।
क्या है मामला?
सरकार की नई ऑनलाइन ट्रांसफर नीति के तहत शिक्षकों के तबादले के लिए दस्तावेज सत्यापन, डाटा अपलोड और रिपोर्टिंग की जिम्मेदारी बीएसए को सौंपी गई थी। लेकिन शिक्षा निदेशालय की समीक्षा रिपोर्ट में पाया गया कि कई जिलों में—
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रिपोर्ट तय समय में अपलोड नहीं की गई,
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जानकारी अधूरी भेजी गई, या
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कुछ जिलों से कोई प्रतिक्रिया ही नहीं आई।
परिणामस्वरूप, बड़ी संख्या में तबादले अटक गए और शिक्षक लंबे समय से असमंजस की स्थिति में हैं।
शासन की सख्ती: कार्रवाई तय
अपर मुख्य सचिव (बेसिक शिक्षा) दीपक कुमार ने व्यक्तिगत रूप से इस मामले को गंभीरता से लेते हुए सभी 26 BSA को तलब किया है। शासन ने स्पष्ट कर दिया है कि:
“अब कोई भी अधिकारी यदि शासन की योजनाओं में बाधा डालता पाया गया, तो उसे निलंबन जैसी कठोर कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।”
पुराने रिकॉर्ड भी होंगे खंगाले
नोटिस में यह भी कहा गया है कि जिन अधिकारियों का पूर्व में भी लापरवाही का इतिहास रहा है, उनके पुराने कार्यों को भी इस जांच में शामिल किया जाएगा। शिक्षक तबादले जैसी संवेदनशील प्रक्रिया में ढिलाई को गंभीर प्रशासनिक दोष माना गया है।
शिक्षा व्यवस्था पर असर
शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने चिंता जताई है कि इस प्रकार की लापरवाही:
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शिक्षक हितों को नुकसान पहुंचाती है,
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छात्रों की पढ़ाई बाधित होती है,
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और शासन की योजनाओं की साख पर प्रश्नचिन्ह खड़ा होता है।
विभाग पहले ही शिक्षकों की कमी, आधारभूत संसाधनों की अनुपलब्धता और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की चुनौतियों से जूझ रहा है। ऐसे में प्रशासनिक लापरवाही स्थिति को और जटिल बना सकती है।
सुधार की दिशा में निर्णायक कदम
शासन ने मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशकों को निर्देशित किया है कि वे अपने-अपने क्षेत्र में प्रक्रिया की निगरानी करें और भविष्य में किसी भी प्रकार की देरी या अनियमितता न हो यह सुनिश्चित करें।
यह कार्यवाही एक स्पष्ट संदेश है—अब शिक्षा विभाग में जवाबदेही से समझौता नहीं किया जाएगा।
नई कार्यसंस्कृति की शुरुआत
इस कदम से यह स्पष्ट हो गया है कि उत्तर प्रदेश सरकार अब शिक्षकों के हितों और शैक्षणिक अनुशासन को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है। पारदर्शी और निष्पक्ष ट्रांसफर नीति पर अमल केवल डिजिटल प्रक्रिया से नहीं, बल्कि सजग प्रशासनिक रवैये से ही संभव है।
“शासन की निगाह अब हर ज़िले के अधिकारी पर है। यदि आप समय पर कार्य नहीं करेंगे, तो कार्रवाई निश्चित है।”
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