पूर्व बसपा नेता राजिक उस्मानी पर गंभीर धाराएं, चार महीने से फरार, पुलिस लाचार
पूर्व बसपा मंडल कोऑर्डिनेटर राजिक उस्मानी पर धोखाधड़ी, जालसाजी और धमकी समेत कई गंभीर धाराओं में केस दर्ज हैं। पुलिस 4 महीने से गिरफ्तारी में नाकाम है, जिससे पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

गोंडा – धोखाधड़ी, जालसाजी और धमकी समेत गंभीर धाराओं में वांछित पूर्व बसपा मंडल कोऑर्डिनेटर अब्दुल राजिक उस्मानी को नवाबगंज पुलिस चार महीने बाद भी पकड़ नहीं पाई है। जिससे पुलिस की निष्क्रियता और राजनीतिक दबाव में काम करने की प्रवृत्ति पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
राजिक उस्मानी के खिलाफ नवाबगंज और वजीरगंज थानों में आधा दर्जन से ज्यादा मुकदमे दर्ज हैं, लेकिन 'मित्र पुलिस' की सक्रियता केवल आम लोगों तक ही सीमित नजर आ रही है।
मुकदमों की फेहरिस्त, लेकिन गिरफ्तारी नहीं
नवाबगंज थाना क्षेत्र के शाहपुर गांव निवासी राजिक उस्मानी का विवादों से पुराना नाता रहा है। सपा सरकार के दौरान वह खाद्यान्न कालाबाजारी जैसे गंभीर मामलों में आरोपी रहे हैं। बसपा शासन में तालाब की जमीन पर अवैध निर्माण को लेकर भी कार्रवाई की गई थी।
साल 2016 में तत्कालीन डीएम राम बहादुर ने उनके अवैध मकान पर बुलडोजर चलवा दिया था। लेकिन हर सरकार में वह किसी न किसी बड़े नेता की छांव में खुद को बचाते रहे।
धोखाधड़ी और धमकी के ताजा आरोप
21 जनवरी 2025 को मोहम्मद मुजीब नामक व्यक्ति ने अदालत के आदेश पर नवाबगंज थाने में राजिक उस्मानी के खिलाफ IPC की धाराओं 406, 419, 420, 467, 468, 471, 504 और 506 में एफआईआर दर्ज करवाई।
मुजीब का आरोप है कि उसने वर्ष 2015 से तीन साल तक राजिक के यहां नौकरी की, इस दौरान उसे जमीन के बदले जमीन देने का वादा कर चालाकी से उसकी ज़मीन मदरसे के नाम रजिस्ट्री करवा ली गई। लेकिन जमीन मिली न नौकरी। उल्टा वेतन के 2 लाख रुपए भी हड़प लिए गए।
जब मुजीब ने सितंबर 2023 में हिसाब मांगने की कोशिश की, तो उसे धमकी दी गई कि “अगर दोबारा दरवाजे पर आया तो गोली मार दूंगा।”
हर सरकार में सियासी ‘शरण’ की कहानी
सूत्रों के मुताबिक, बसपा में रहते हुए सपा शासन में पंडित सिंह की निकटता ली, और भाजपा सरकार में बृजभूषण शरण सिंह की शरण में आ गए। यही वजह है कि गंभीर धाराओं में वांछित होने के बावजूद पुलिस कार्रवाई से बचते रहे हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि राजिक ने ‘सत्ता के हिसाब से रंग बदलने’ की कला में महारत हासिल कर रखी है।
पार्टी ने बनाई दूरी
बसपा जिलाध्यक्ष मनोज कुमार कनौजिया ने स्पष्ट किया कि “राजिक उस्मानी का अब बसपा से कोई लेना-देना नहीं है। वह 2022 के बाद से पार्टी के किसी कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए।”
प्रश्नचिह्न पर पुलिस की चुप्पी
चार महीने बीतने के बावजूद पुलिस की निष्क्रियता ने यह सवाल खड़ा किया है कि क्या रसूखदारों के खिलाफ कानून वाकई उतना ही सख्त है जितना आम नागरिकों पर होता है? नवाबगंज पुलिस की चुप्पी और निष्क्रियता अब खुद उसकी साख पर सवाल बन गई है।
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