मानव संपदा पोर्टल की अनदेखी, तबादलों में अपनाई ऑफलाइन प्रक्रिया, भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप

CM योगी की पारदर्शी तबादला नीति को दरकिनार कर पशुपालन विभाग समेत कई जगहों पर अफसरों ने ऑफलाइन तबादलों की रणनीति बनाई। करोड़ों की धनउगाही के आरोप, रिटायरमेंट से पहले तबादलों की जल्दबाज़ी पर सवाल।

May 20, 2025 - 13:26
May 20, 2025 - 13:52
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मानव संपदा पोर्टल की अनदेखी, तबादलों में अपनाई ऑफलाइन प्रक्रिया, भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप

लखनऊ — उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा तबादलों में पारदर्शिता और भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के उद्देश्य से शुरू किया गया मानव संपदा पोर्टल एक बार फिर अफसरशाही की अनदेखी का शिकार बन गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशों के बावजूद इस वर्ष भी कई विभागों में तबादले ऑफलाइन प्रक्रिया के जरिए किए जा रहे हैं।

सबसे बड़ा उदाहरण पशुपालन विभाग है, जहां छुट्टी की अर्जी से लेकर अन्य सभी गतिविधियाँ मानव संपदा पोर्टल से की जाती हैं, लेकिन जब बात तबादलों की आती है, तो अधिकारी ऑफलाइन प्रणाली को ही प्राथमिकता दे रहे हैं।

‘यथासंभव’ शब्द बना नियमों को तोड़ने का आधार

मुख्य सचिव द्वारा जारी शासनादेश में तबादलों को "यथासंभव" ऑनलाइन करने का उल्लेख किया गया है। इस शब्द को अधिकारियों ने अपनी मर्जी के अनुसार इस्तेमाल करते हुए ऑफलाइन तबादलों का रास्ता साफ कर लिया है।

विभागीय स्तर पर मेरिट बेस्ड ऑनलाइन ट्रांसफर प्रणाली को दरकिनार कर, ऑफलाइन प्रस्ताव और व्यक्तिगत संस्तुतियाँ भेजी जा रही हैं।

डॉ. मनोज कुमार ने लगाए भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप

आगरा के उप मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. मनोज कुमार ने तबादला प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री कार्यालय और नियुक्ति विभाग को शिकायत भेजी है।

उनका दावा है कि प्रमुख सचिव के. रविंद्र नायक, निदेशक डॉ. जयकेश पांडेय और विशेष सचिव देवेंद्र पांडेय—तीनों अधिकारी 31 मई को सेवानिवृत्त हो रहे हैं, इसलिए वे जल्दबाजी में ट्रांसफर प्रक्रिया को अंतिम रूप देने की कोशिश कर रहे हैं।

डॉ. मनोज ने एक रेट चार्ट का भी हवाला दिया है जिसमें कथित तौर पर तबादलों की एवज में करोड़ों रुपये की धनउगाही का जिक्र है।

दलाली के आरोप और CDR जांच की मांग

शिकायत में दो निजी व्यक्तियों को अफसरों का दलाल बताया गया है, जिन पर काली कमाई को ठिकाने लगाने के आरोप हैं। डॉ. मनोज कुमार ने मोबाइल कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDR) की जांच की मांग भी की है ताकि कथित सांठगांठ उजागर हो सके।

निदेशक का बयान: "ऑनलाइन व्यवस्था संभव नहीं, अफवाह फैलाने वालों पर कार्रवाई होगी"

इस पूरे मामले पर पशुपालन निदेशक डॉ. जयकेश पांडेय ने कहा,

“मानव संपदा पोर्टल से ऑनलाइन ट्रांसफर फिलहाल किसी विभाग में प्रभावी रूप से नहीं हो पा रहे हैं। एनआईसी तकनीकी रूप से सक्षम नहीं है। हमने शासन से ऑफलाइन ट्रांसफर की अनुमति मांगी है। डॉ. मनोज कुमार द्वारा लगाए गए आरोप निराधार हैं और उनके खिलाफ व्यक्तिगत कार्रवाई की जाएगी।”

पारदर्शिता बनाम अफसरशाही

इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा लाई गई पारदर्शिता की पहल अफसरशाही की भेंट चढ़ रही है? यदि शिकायतों की निष्पक्ष जांच नहीं हुई तो यह मामला प्रशासनिक साख पर सवालिया निशान बन सकता है।

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