भारतीय सेना ने शुरू किया अत्याधुनिक रक्षा तकनीकों का परीक्षण
भारतीय सेना पोखरण, बबिना और जोशीमठ में अगली पीढ़ी की रक्षा तकनीकों का युद्ध जैसी परिस्थितियों में परीक्षण कर रही है। जानें पूरी जानकारी।

नई दिल्ली: भारतीय सेना देश के विभिन्न सामरिक क्षेत्रों में अत्याधुनिक रक्षा तकनीकों का परीक्षण कर रही है। रक्षा मंत्रालय के अनुसार, यह परीक्षण युद्ध जैसी परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए पोखरण, बबिना और जोशीमठ की फील्ड फायरिंग रेंज में किए जा रहे हैं। इन परीक्षणों में अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिमुलेशन को भी शामिल किया गया है, जिससे इन प्रणालियों की प्रभावशीलता और विश्वसनीयता की कठोरता से जांच की जा सके।
‘आत्मनिर्भर भारत’ के तहत विकसित स्वदेशी तकनीकों की झलक
इस अभ्यास के तहत भारतीय रक्षा उद्योग द्वारा 'आत्मनिर्भर भारत' अभियान के अंतर्गत विकसित की गई कई उन्नत रक्षा प्रणालियाँ पेश की जा रही हैं। इन प्रमुख तकनीकों में शामिल हैं:
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अनमैन्ड एरियल सिस्टम (UAS)
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यूएवी से लॉन्च होने वाले प्रिसिजन-गाइडेड मुनिशन्स
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लोइट्रिंग मुनिशन्स
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लो-लेवल लाइटवेट राडार
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इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्लेटफॉर्म
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वर्टिकल लॉन्च ड्रोन
इन सभी प्रणालियों को बदलते युद्ध क्षेत्र की मांगों के अनुसार तैयार किया गया है, ताकि भारत की युद्ध क्षमता आधुनिक स्तर तक सशक्त हो सके।
एयर डिफेंस प्रदर्शन भी होगा आगरा और गोपालपुर में
इसके अतिरिक्त, आगरा और गोपालपुर में एयर डिफेंस उपकरणों का विशेष प्रदर्शन किया जाएगा, जिसमें अत्याधुनिक स्वदेशी प्रणालियों का प्रदर्शन होगा। यह अभ्यास भारत की वायु सुरक्षा क्षमता को और मजबूत बनाने की दिशा में एक अहम कदम है।
प्रमुख रक्षा उद्योग कंपनियाँ भी ले रही हैं भाग
इस तकनीकी अभ्यास में देश-विदेश की प्रमुख रक्षा उद्योग इकाइयाँ भी भाग ले रही हैं, जो अपने नवाचारों के प्रदर्शन के साथ-साथ सेना के भविष्य के लिए संभावित सहयोग पर चर्चा करेंगी। यह एक ऐसा मंच बन गया है जहां सेना और रक्षा निर्माता सीधे तकनीकी समाधान और रणनीतियाँ साझा कर सकते हैं।
तेजी से बदलती युद्ध रणनीति के अनुरूप सेना की तैयारी
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, इन परीक्षणों का उद्देश्य न केवल तकनीकी प्रदर्शन करना है, बल्कि यह सुनिश्चित करना भी है कि भारतीय सेना तेजी से उभरती तकनीकों को प्रभावी ढंग से आत्मसात कर सके और किसी भी युद्ध परिस्थिति का सामना आधुनिक संसाधनों से कर सके।
भारत की यह पहल न केवल आत्मनिर्भरता की दिशा में एक ठोस कदम है, बल्कि यह वैश्विक रक्षा क्षेत्र में भारत की तकनीकी क्षमताओं और रणनीतिक सोच को भी सशक्त रूप से प्रस्तुत करती है।
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