बिजली संकट पर आदित्य यादव के बयान से मचा सियासी घमासान, विपक्ष ने घेरा
बिजली संकट पर आदित्य यादव के बयान से मचा सियासी घमासान, विपक्ष ने घेरा

इटावा/लखनऊ- समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद आदित्य यादव एक बार फिर अपने बयान को लेकर विवादों में घिर गए हैं। हाल ही में इटावा में आयोजित एक जनसभा में उन्होंने प्रदेश में बिजली आपूर्ति की बदहाल स्थिति पर सवाल उठाते हुए ऐसा बयान दे दिया, जिसे विपक्ष ने बिजली चोरी को परोक्ष समर्थन देने वाला बताया है।
"जब हक़ नहीं मिलेगा तो लोग अपने तरीके से लेंगे" – आदित्य यादव
अपने भाषण में आदित्य यादव ने कहा,
“उत्तर प्रदेश में बिजली की हालत बेहद खराब है। गर्मी में लोग बेहाल हैं। सरकार बिजली देने में पूरी तरह विफल रही है। जब जनता को उसका हक़ नहीं मिलेगा, तो लोग अपने तरीके से उसका इंतज़ाम करेंगे।”
हालांकि सांसद ने सीधे तौर पर बिजली चोरी का जिक्र नहीं किया, लेकिन उनके बयान में “अपने तरीके से लेने” जैसी टिप्पणी को लेकर विवाद गहराता जा रहा है।
विपक्ष ने किया तीखा प्रहार
भाजपा और अन्य दलों ने आदित्य यादव के बयान की निंदा करते हुए इसे गैर-जिम्मेदाराना और भड़काऊ बताया। भाजपा प्रवक्ता ने कहा:
“एक सांसद अगर कानून को तोड़ने के संकेत देगा, तो आम जनता में क्या संदेश जाएगा? आदित्य यादव को इस बयान के लिए माफी मांगनी चाहिए।”
भाजपा ने यह भी आरोप लगाया कि सपा शासनकाल में बिजली चोरी को नजरअंदाज किया जाता रहा है और अब उसी मानसिकता की पुनरावृत्ति हो रही है।
सरकार ने दी सख्त चेतावनी
प्रदेश के ऊर्जा मंत्री ने इस बयान को गंभीरता से लेते हुए स्पष्ट किया कि:
“बिजली चोरी एक दंडनीय अपराध है। चाहे कोई भी व्यक्ति हो, कानून सबके लिए समान है। राज्य सरकार बिजली आपूर्ति को बेहतर बनाने के लिए लगातार काम कर रही है।”
मंत्री ने आगे कहा कि प्रदेश में बिजली ढांचे को मजबूत करने के लिए कई योजनाएं चल रही हैं और जनता को जल्द ही इसका फायदा मिलेगा।
सपा का बचाव: "बात का गलत मतलब निकाला गया"
समाजवादी पार्टी ने सांसद आदित्य यादव के बयान का बचाव करते हुए कहा कि विपक्ष उनके कथन को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रहा है। सपा प्रवक्ता ने कहा:
“सांसद केवल जनता की पीड़ा को आवाज़ दे रहे थे। उन्होंने कहीं भी कानून तोड़ने की बात नहीं की। सरकार की नाकामी से लोग परेशान हैं, यही संदेश देने की कोशिश की गई।”
राजनीतिक गलियारों में गर्माहट
विश्लेषकों का मानना है कि आदित्य यादव का बयान जनता के आक्रोश को उजागर करता है, लेकिन राजनीतिक रूप से संवेदनशील विषय पर ऐसी भाषा से विवाद होना स्वाभाविक है। भाजपा इसे आगामी चुनावों में मुद्दा बनाने की तैयारी में है, जबकि सपा इसे जनता के पक्ष में उठाई गई आवाज बता रही है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि यह विवाद आने वाले दिनों में क्या मोड़ लेता है और क्या इसका असर राजनीतिक समीकरणों पर भी पड़ता है।
क्या बिजली संकट और बयानबाज़ी आगामी चुनाव का एजेंडा बन सकता है?
जनता जवाब देगी - वोट के ज़रिए।
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