"बाबा अल्तमश शाह का 53वां उर्स: भरथना में सूफियाना रंग, हजारों ने पेश की अकीदत"
"बाबा अल्तमश शाह का 53वां उर्स: भरथना में सूफियाना रंग, हजारों ने पेश की अकीदत"

भरथना, इटावा रोड: हिन्दू-मुस्लिम एकता की मिसाल मानी जाने वाली पवित्र दरगाह हज़रत बाबा अल्तमश शाह शेहराई ककराई वाले सैय्यद बाबा रहमतुल्लाह अलैह के 53वें सालाना उर्स के मौके पर दो दिवसीय कार्यक्रम का भव्य आयोजन किया गया। इसमें दूर-दराज़ से आए हजारों अकीदतमंदों ने शिरकत की और अपने अंदाज़ में अकीदत पेश की।
रूहानी महफिल से सजी रात
उर्स की शुरुआत शुक्रवार रात ईद मिलादुन्नबी की महफिल से हुई, जो नमाज़-ए-इशा के बाद आयोजित की गई। शनिवार की रात महफिल-ए-शमा का आयोजन हुआ, जिसमें देशभर से आए मशहूर कव्वालों ने अपनी प्रस्तुतियां दीं। कानपुर देहात से आए प्रसिद्ध कव्वाल चांद अनवर और मुरादाबाद से आए इंटरनेशनल कव्वाल असलम और अकरम वारसी ने हज़रत हाजी वारिस अली शाह रहमतुल्लाह अलैह की शान में कलाम पेश कर महफिल को सूफियाना रंग में रंग दिया। उनकी रूहानी कव्वालियों पर अकीदतमंद झूम उठे। शनिवार सुबह 4:13 बजे हज़रत आलम पनाह सैय्यद हाजी वारिस अली शाह र.अ. के कुल की फातिहा अदा की गई। इस दौरान हजारों जायरीनों ने नम आंखों से दुआएं मांगी और मन्नतें मानीं। फातिहा के बाद तबर्रुक (प्रसाद) वितरित किया गया और दरगाह कमेटी द्वारा सभी जायरीनों का धन्यवाद अदा किया गया।
अमन और अकीदत का पैगाम
यह उर्स आयोजन न केवल एक रूहानी अनुभव बनकर उभरा, बल्कि हिन्दू-मुस्लिम एकता और भाईचारे की एक मिसाल भी पेश की। बाबा अल्तमश शाह की दरगाह पर हर धर्म व समुदाय के लोग एकजुट होकर अकीदत पेश करते हैं, जो भरथना की गंगा-जमुनी तहजीब का जीता-जागता उदाहरण है।
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