ज्ञानवापी केस के जज ने सुरक्षा को लेकर जताई चिंता, हाई कोर्ट से की गुहार
ज्ञानवापी मामले की सुनवाई कर चुके जज रवि कुमार दिवाकर ने अपनी जान को खतरा बताया है। उन्होंने हाई कोर्ट और पुलिस को पत्र लिखकर सुरक्षा बढ़ाने की मांग की है। जानें पूरा मामला और पुलिस का पक्ष।

चित्रकूट। ज्ञानवापी मामले की सुनवाई कर चुके अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश रवि कुमार दिवाकर ने अपनी और अपने परिवार की जान को खतरा बताते हुए सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करने की मांग की है। उन्होंने इस संबंध में उत्तर प्रदेश हाई कोर्ट और चित्रकूट के पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखकर स्थिति की गंभीरता से अवगत कराया है।
कई बार दी चेतावनी, फिर भी नहीं मिली पर्याप्त सुरक्षा
जज दिवाकर का कहना है कि उन्होंने बार-बार स्थानीय पुलिस से सुरक्षा बढ़ाने की मांग की, लेकिन अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि चित्रकूट में उनके सरकारी आवास पर सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं और एसपी की ओर से इस मामले में लापरवाही बरती जा रही है।
पहले भी मिली थी धमकी, अब खतरा और ज्यादा
गौरतलब है कि ज्ञानवापी केस की सुनवाई के दौरान भी जज दिवाकर को इंटरनेट के माध्यम से धमकी मिली थी। पत्र में उन्होंने बताया कि जिस व्यक्ति ने उन्हें धमकी दी थी, वह भोपाल का निवासी है और वर्तमान में चित्रकूट की सीमा से लगे क्षेत्र में तैनात है, जिससे उन्हें और उनके परिवार को पहले से अधिक खतरा महसूस हो रहा है।
बरेली जैसी सुरक्षा की मांग
दिवाकर ने बताया कि जब वह बरेली में पदस्थ थे, तब उन्हें पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराई गई थी। लेकिन चित्रकूट में स्थिति बिल्कुल विपरीत है। उन्होंने हाई कोर्ट को अवगत कराते हुए आग्रह किया है कि उन्हें उसी स्तर की सुरक्षा दी जाए, जैसी पहले प्रदान की गई थी।
एसपी ने दी सफाई
चित्रकूट के पुलिस अधीक्षक अरुण कुमार सिंह ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जितनी सुरक्षा जिला जज को दी जाती है, उतनी ही व्यवस्था न्यायाधीश रवि कुमार दिवाकर को भी दी गई है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि हाई कोर्ट के आदेश की प्रति प्रस्तुत की जाती है तो अतिरिक्त सुरक्षा व्यवस्था पर विचार किया जाएगा।
सरकारी कॉलोनी में निवास, पर असुरक्षित महसूस कर रहा परिवार
फिलहाल जज दिवाकर चित्रकूट के सोनेपुर कर्वी स्थित सरकारी जज कॉलोनी में अपने परिवार के साथ निवास कर रहे हैं। उनका कहना है कि मौजूदा सुरक्षा व्यवस्था उन्हें और उनके परिवार को सुरक्षित महसूस कराने के लिए नाकाफी है।
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