PMCH में मनीष कश्यप से कथित मारपीट, वीडियो रिकॉर्डिंग को लेकर जूनियर डॉक्टरों से हुआ विवाद

पटना, बिहार — यूट्यूबर और भाजपा नेता मनीष कश्यप एक बार फिर सुर्खियों में हैं। सोमवार को पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (PMCH) में उनके साथ जूनियर डॉक्टरों द्वारा कथित मारपीट का मामला सामने आया है। फिलहाल, कश्यप को एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है।
अस्पताल में अव्यवस्था देख शुरू की रिकॉर्डिंग, हुआ विवाद
सूत्रों के मुताबिक, मनीष कश्यप PMCH में किसी परिचित की तबीयत का हालचाल लेने पहुंचे थे। अस्पताल परिसर में मौजूद अव्यवस्थाओं को देखकर उन्होंने अपने मोबाइल से वीडियो रिकॉर्डिंग शुरू की। इसी दौरान वहां मौजूद एक महिला जूनियर डॉक्टर ने उन्हें रिकॉर्डिंग बंद करने को कहा।
मनीष के इनकार करने पर दोनों के बीच विवाद शुरू हो गया, जो जल्दी ही तीखी झड़प में बदल गया।
झड़प ने लिया हिंसक रूप
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, बहस बढ़ने पर कुछ अन्य जूनियर डॉक्टर भी मौके पर पहुंच गए। बात धक्का-मुक्की तक पहुंची और फिर कथित तौर पर मनीष कश्यप के साथ मारपीट की गई। आरोप यह भी है कि उन्हें एक कमरे में बंद कर, मोबाइल से रिकॉर्ड किया गया वीडियो जबरन डिलीट कराया गया।
पुलिस पहुची मौके पर, मामला शांत कराया गया
घटना की सूचना पर पीरबहोर थाना पुलिस मौके पर पहुंची और स्थिति को नियंत्रण में लिया। पुलिस ने मनीष कश्यप को अस्पताल से बाहर निकाला और प्राथमिक उपचार के लिए एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया। पुलिस द्वारा मामले की प्रारंभिक जांच शुरू कर दी गई है।
अस्पताल प्रशासन की चुप्पी, सोशल मीडिया पर बहस तेज
घटना को लेकर अब तक PMCH प्रशासन या मेडिकल कॉलेज प्रबंधन की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
हालांकि, सोशल मीडिया पर मामले को लेकर बहस तेज हो गई है। कुछ लोग मनीष कश्यप के समर्थन में अस्पताल की व्यवस्था पर सवाल उठा रहे हैं, जबकि अन्य उनका वीडियो बनाना नियमविरुद्ध बताते हुए डॉक्टरों का पक्ष ले रहे हैं।
पुराने विवादों से भी रहा है नाता
गौरतलब है कि यह पहली बार नहीं है जब मनीष कश्यप विवादों में आए हैं। इससे पहले वह तमिलनाडु में प्रवासी मजदूरों पर फर्जी वीडियो प्रसारित करने के आरोप में कई महीने जेल में रह चुके हैं। लगभग एक साल पहले उन्होंने भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ली थी।
यह घटना न केवल अस्पतालों में मीडिया या नेताओं की मौजूदगी को लेकर गंभीर प्रश्न उठाती है, बल्कि डॉक्टरों की कार्यप्रणाली, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और कानून-व्यवस्था की चुनौतियों को भी उजागर करती है। मामले की विस्तृत जांच और प्रशासनिक प्रतिक्रिया अब प्रतीक्षित है।
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