27 वर्षों की न्यायिक जंग: शिक्षक को न मिला वेतन, अब कुर्क होगा डीआईओएस कार्यालय
27 वर्षों की न्यायिक जंग: शिक्षक को न मिला वेतन, अब कुर्क होगा डीआईओएस कार्यालय

बस्ती (उत्तर प्रदेश): उत्तर प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था पर एक बड़ा सवालिया निशान खड़ा हो गया है। अयोध्या निवासी शिक्षक चंद्रशेखर सिंह को उनका हक दिलाने के लिए अदालत ने सख्त रुख अपनाते हुए बस्ती जिले के जिला विद्यालय निरीक्षक (DIOS) कार्यालय की जमीन कुर्क करने का आदेश दे दिया है। अदालत ने कहा है कि अगर 8 मई 2025 तक शिक्षक को उनका बकाया वेतन नहीं दिया गया, तो जमीन को नीलाम कर राशि वसूली जाएगी।
क्या है पूरा मामला?
चंद्रशेखर सिंह को 1991 में हर्रैया तहसील के नेशनल इंटर कॉलेज में अर्थशास्त्र प्रवक्ता के पद पर विधिवत रूप से नियुक्त किया गया था। उनकी नियुक्ति को न सिर्फ स्कूल प्रबंधन बल्कि DIOS कार्यालय की मंजूरी भी प्राप्त थी। बावजूद इसके, प्रशासनिक टकराव के चलते उन्हें एक दिन का भी वेतन नहीं मिला।
दिलचस्प बात यह रही कि उनके साथ नियुक्त हुए पांच अन्य शिक्षकों को नियमित कर वेतन दिया गया, लेकिन चंद्रशेखर को लगातार नजरअंदाज किया गया। जब बार-बार के अनुरोध और पत्राचार विफल हो गए, तो उन्होंने 1998 में अदालत का दरवाजा खटखटाया।
क़ानूनी लड़ाई: 2005 में आया था फैसला, फिर भी नहीं मिला वेतन
सात साल की कानूनी लड़ाई के बाद 2005 में अदालत ने उनके पक्ष में फैसला सुनाते हुए 14.38 लाख रुपये के बकाया वेतन के भुगतान और भविष्य में नियमित वेतन देने का आदेश दिया। मगर आदेश का पालन नहीं हुआ।
इसके बाद चंद्रशेखर सिंह ने इजरा वाद (अदालती आदेश के अनुपालन हेतु याचिका) दायर किया। DIOS कार्यालय ने फैसले को पहले जिला जज और फिर हाईकोर्ट तक चुनौती दी, लेकिन हर बार उसे हार का सामना करना पड़ा।
अब अदालत ने सुनाया ऐतिहासिक आदेश
अब सिविल जज जूनियर डिवीजन सोनाली मिश्रा ने आदेश दिया है कि अगर समयसीमा तक वेतन नहीं दिया गया, तो DIOS कार्यालय की संपत्ति कुर्क की जाएगी। अमीन रजवंत सिंह को 8 मई 2025 तक कुर्की की रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।
शिक्षा विभाग में मचा हड़कंप
इस फैसले ने शिक्षा विभाग में हलचल पैदा कर दी है। एक ओर जहां विभाग की प्रशासनिक नाकामी उजागर हुई है, वहीं यह घटना सरकारी तंत्र की निष्क्रियता और न्यायिक आदेशों की उपेक्षा की जीवंत मिसाल बन गई है।
चंद्रशेखर सिंह की जद्दोजहद बनी मिसाल
चंद्रशेखर सिंह की यह लड़ाई सिर्फ एक शिक्षक के वेतन की नहीं, बल्कि सम्मान और अधिकार की भी है। उन्होंने लगभग तीन दशक तक न्याय के लिए संघर्ष किया, जबकि सिस्टम की बेरुखी उन्हें लगातार झेलनी पड़ी। आज उनकी जिद और विश्वास ही है कि पूरा प्रदेश इस निर्णय को ऐतिहासिक मान रहा है।
अब क्या होगा आगे?
सवाल अब यह है कि:
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क्या शिक्षा विभाग समय रहते आदेश का पालन करेगा?
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क्या चंद्रशेखर सिंह को वाकई उनका हक मिलेगा?
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या फिर DIOS कार्यालय की जमीन वाकई नीलाम होगी?
जो भी हो, यह मामला अब एक नजीर बन चुका है—सिर्फ उत्तर प्रदेश के लिए नहीं, पूरे देश के उन लाखों कर्मचारियों के लिए जो वर्षों से अपने हक और न्याय के लिए लड़ रहे हैं।
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