सेल्फ स्टडी से UPSC पास कर बने IFS, भरथना के प्रांशू की प्रेरक कहानी
सेल्फ स्टडी से UPSC पास कर बने IFS, भरथना के प्रांशू की प्रेरक कहानी

भरथना (इटावा): कस्बा भरथना के एक सामान्य परिवार से ताल्लुक रखने वाले प्रांशू चंदानी ने अपने चौथे प्रयास में संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की कठिन परीक्षा पास कर भारतीय विदेश सेवा (IFS) में चयन पाकर न केवल अपने परिवार, बल्कि क्षेत्र का भी नाम रोशन कर दिया है।
महावीर नगर गुरुद्वारा वाली गली निवासी प्रेमप्रकाश चंदानी के पुत्र प्रांशू की इस ऐतिहासिक सफलता की चर्चा हर जुबान पर है।
सीमित संसाधनों और कठिन परिस्थितियों में भी प्रांशू ने हार नहीं मानी और निरंतर प्रयास करते हुए अपने लक्ष्य को हासिल कर दिखाया। शिक्षा से लेकर संघर्ष तक: प्रांशू की प्रारंभिक शिक्षा भरथना के ही माँ अम्बे पब्लिक स्कूल, महावीर नगर में हुई। इसके बाद उन्होंने इंटरमीडिएट की पढ़ाई कानपुर के पूरनचंद इंटर कॉलेज से पूरी की। उच्च शिक्षा के लिए उन्होंने पटना से शिक्षा की डिग्री प्राप्त की। यूपीएससी की तैयारी उन्होंने किसी कोचिंग इंस्टिट्यूट में नहीं की, बल्कि संपूर्ण रूप से स्वयं अध्ययन (Self Study) के माध्यम से की।
लगातार तीन प्रयासों में असफलता के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और चौथे प्रयास में सफलता का परचम लहराया। परिवार और समाज में खुशी की लहर: प्रांशू की सफलता पर उनके बाबा डॉ. ब्रह्मानंद चंदानी, माता रजनी चंदानी, पिता प्रेमप्रकाश चंदानी, भाइयों प्रतीक व संदेश सहित समस्त परिवार में खुशी का माहौल है। हर कोई गर्व से उनकी उपलब्धि की सराहना कर रहा है।
क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों और नागरिकों ने दी बधाई: पूर्व ब्लॉक प्रमुख हरिओम यादव, प्रेस क्लब अध्यक्ष महेश सिंह कुशवाह, महामंत्री अमित यादव रौली, कोषाध्यक्ष इशरत अब्बासी, विशनू राठौर, सुमित यादव, सागर, संतोष गोस्वामी, प्रबल प्रताप सिंह, ललित जादौन, रविंद्र यादव, संजय माधवानी, मीनू दुबे, फैजान और अनेक सामाजिक व शिक्षण संस्थानों के गुरुजनों ने प्रांशू को हार्दिक बधाई दी और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।
एक प्रेरणा हैं प्रांशू: प्रांशू चंदानी की यह सफलता न केवल उनके लिए बल्कि उन तमाम युवाओं के लिए प्रेरणा है जो कठिन परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने यह साबित किया है कि समर्पण, अनुशासन और आत्मविश्वास के बल पर कोई भी सपना साकार किया जा सकता है, चाहे परिस्थितियाँ कितनी भी चुनौतीपूर्ण क्यों न हों।
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