गोंडा: जनसुनवाई पोर्टल पर फर्जी निस्तारण का खुलासा, अफसरों पर गिरी गाज
गोंडा जिले में जनसुनवाई पोर्टल पर दर्ज शिकायतों के फर्जी निस्तारण का मामला सामने आया है। मंडलायुक्त और डीएम ने अधिकारियों को नोटिस जारी कर सख्त कदम उठाए हैं।

गोंडा जनपद में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की डिजिटल पारदर्शिता की मंशा को उस समय बड़ा झटका लगा, जब जनसुनवाई पोर्टल (IGRS) पर जनता की शिकायतों के फर्जी निस्तारण का मामला सामने आया। पोर्टल की मंशा थी कि आम लोग अपने घरों से ही शिकायतें दर्ज कर सकें और उन्हें समाधान भी मिले। लेकिन अब शिकायतों के समाधान की बजाय उन्हें गुमराह करने और गलत तरीके से निस्तारित दिखाने का खेल उजागर हुआ है।
अधिकारियों की लापरवाही से बिगड़ रही छवि
जनसुनवाई पोर्टल पर प्राप्त शिकायतों के फर्जी निस्तारण को लेकर मंडलायुक्त शशिभूषण लाल सुशील और जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने सख्त रुख अपनाया है। मंडलीय समीक्षा में सामने आया कि जल निगम ग्रामीण के अधीक्षण अभियंता द्वारा किए गए 72% मामलों में फीडबैक असंतुष्ट था। अप्रैल 2024 में 33 मामलों में से 24 शिकायतों पर जनता ने असंतोष जताया।
कार्रवाई: प्रतिकूल प्रविष्टि और नोटिस
इस गंभीर चूक पर मंडलायुक्त ने अधीक्षण अभियंता को प्रतिकूल प्रविष्टि दी है। साथ ही सिंचाई विभाग, चिकित्सा स्वास्थ्य, जल निगम नगरीय, व्यावसायिक शिक्षा और आबकारी विभाग के अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं।
‘स्पेशल क्लोज’ निस्तारण पर सख्ती
फर्जी निस्तारण की रोकथाम के लिए आयुक्त कार्यालय ने नई प्रक्रिया लागू की है। अब किसी भी शिकायत की अंतिम रिपोर्ट तभी पोर्टल पर अपलोड की जा सकेगी, जब वह आयुक्त कार्यालय के IGRS Devipatan व्हाट्सएप ग्रुप में भेजकर मंजूरी ले ली जाए। असंतोषजनक रिपोर्टिंग पर सीधा संबंधित अधिकारी की जवाबदेही तय की जाएगी। इसके अलावा ‘स्पेशल क्लोज’ मामलों में भी स्पष्ट कारण और विवरण देना अनिवार्य किया गया है।
जिलाधिकारी का बड़ा एक्शन
ग्राम पंडरी बल्लभ में ऐतिहासिक स्वामी नारायण मंदिर के पोखरे की मरम्मत को लेकर आई शिकायत में संबंधित बीडीओ ने शिकायत को गुमराह कर दिया। पोखरे की मरम्मत के बजाय अपात्रता की रिपोर्ट लगा दी गई। डीएम नेहा शर्मा ने इसे गंभीर लापरवाही मानते हुए बीडीओ ओमप्रकाश सिंह को परिनिंदा और सख्त चेतावनी जारी की।
आरटीआई कार्यकर्ता का आरोप: "जनता जाए तो कहां?"
आरटीआई एक्टिविस्ट अधिवक्ता शादाब अहमद खान ने कहा कि शिकायतों के समाधान की बजाय उन्हें दबाया जा रहा है। राजस्व विभाग में सबसे अधिक फर्जी निस्तारण की शिकायतें हैं, जहां लेखपाल से लेकर उच्च अधिकारी तक मिलीभगत में शामिल हैं। उन्होंने कहा, "यह अफसर भूल चुके हैं कि वे जनता के सेवक हैं, जिनका वेतन जनता के टैक्स से चलता है।"
जनसुनवाई पोर्टल जैसी व्यवस्था जहां जनता को सशक्त बनाने के उद्देश्य से शुरू की गई थी, अब वहीं भ्रष्टाचार और लापरवाही का शिकार हो रही है। उच्च अधिकारियों की सक्रियता और नई निगरानी व्यवस्था से उम्मीद है कि इस सिस्टम में सुधार आएगा।
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