कैराना से पानीपत तक: बेरोजगार युवक कैसे बना ISI का जासूस
कैराना से पानीपत तक: बेरोजगार युवक कैसे बना ISI का जासूस

शामली, उत्तर प्रदेश — एक साधारण जीवन जी रहा युवक, नोमान इलाही, देश की सुरक्षा के लिए अचानक बड़ा खतरा बन गया। हरियाणा के पानीपत से गिरफ्तार किए गए नोमान की कहानी चौंकाने वाली है, और साथ ही यह भी दर्शाती है कि किस तरह पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI अब भारत के भीतर कमजोर वर्गों को निशाना बना रही है।
बेरोजगारी से शुरू हुआ सफर
नोमान की पढ़ाई महज आठवीं तक ही हुई थी। रोजगार की तलाश में वह कैराना से बाहर निकला और देश के अलग-अलग शहरों में छोटे-मोटे काम करता रहा। उसकी जिंदगी में बड़ा मोड़ तब आया जब उसने पासपोर्ट बनवाया और पाकिस्तान की यात्रा की। यह यात्रा सिर्फ एक आम दौरा नहीं थी — बल्कि एक ऐसे मकड़जाल की शुरुआत थी जिसमें फंसकर वह देश के खिलाफ काम करने लगा।
ISI का हनीट्रैप और लालच
पाकिस्तान में नोमान की मुलाकात ISI एजेंटों से हुई। एक महिला एजेंट ने खुद को भारतीय बताकर सोशल मीडिया पर उससे दोस्ती की। भावनात्मक रूप से जुड़ाव बनाकर उसे सैन्य जानकारियां जुटाने के लिए उकसाया गया। इसके बदले उसे मोटी रकम देने का वादा किया गया। यह 'हनीट्रैप' ही वह पहला फंदा था जिसमें नोमान पूरी तरह फंस गया।
फर्जी खातों से फंडिंग, ISI को संवेदनशील जानकारी
नोमान ने फर्जी बैंक खातों और ऑनलाइन वॉलेट्स के माध्यम से पाकिस्तान से पैसे मंगवाए। वह जम्मू-कश्मीर में चल रहे "ऑपरेशन सिंदूर" के दौरान सेना की गतिविधियों की जानकारी ISI को भेजता रहा। सेना की तस्वीरें, वीडियो और लोकेशन जैसे संवेदनशील डाटा उसके मोबाइल से बरामद किए गए हैं।
सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता से खुला राज
नोमान की संदिग्ध गतिविधियों पर एजेंसियां पहले से नजर बनाए हुए थीं। उसके मोबाइल चैट्स, यात्रा विवरण और इंटरनेट व्यवहार पर पुख्ता निगरानी रखी जा रही थी। सबूत मिलने पर उसे पानीपत से दबोचा गया। पूछताछ में उसने अपने गुनाह कबूल कर लिए।
ISI की बदली रणनीति: निशाने पर कमजोर युवा
नोमान का मामला एक नई रणनीति की ओर इशारा करता है — ISI अब शिक्षित, तकनीकी रूप से सक्षम एजेंटों की जगह उन युवाओं को टारगेट कर रही है जो बेरोजगार, डिजिटल रूप से कमज़ोर और भावनात्मक रूप से असुरक्षित हैं। उन्हें पैसे और विदेशी जीवन का सपना दिखाकर देश के खिलाफ मोहरा बनाया जा रहा है।
अब क्या करना होगा?
विशेषज्ञों का मानना है कि सुरक्षा केवल एजेंसियों का काम नहीं — अब नागरिकों की सतर्कता भी उतनी ही जरूरी है। युवाओं को सोशल मीडिया पर सतर्क रहने की सलाह दी जा रही है, खासकर जब कोई अजनबी भावनात्मक या निजी बातचीत की कोशिश करे।
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